सैंथव सभ्यता से प्राप्त परिपक्क अवस्था वाले स्थलों में केवल 6 को ही नगर कीसंज्ञा दी जाती है। ये स्थल हैं : हड़प्पा, मोहनजोदडों, चन्हुदरडों, लोथल, कालीबंगाएवं बनावली।
- बृहत्स्नानागार के उत्तरी तथा दक्षिणी पाश्वों में सीढ़ियों का निर्माण किया गयाथा। सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने इस स्नानागार की खोज की।
- स्वतंत्रता के पश्चात् हड़प्पा सभ्यता के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं।
- सैंधव सभ्यता के अंतर्गत केवल कालीबंगा से ही नक्काशीदार ईटों के प्रयुक्त होनेके प्रमाण मिले हैं।
- मोहनजोदड़ों से प्राप्त अन्नागार सैंथव सभ्यता की सम्भवतः सबसे बड़ी इमारत थी ।
- सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता से ही ‘स्वास्तिक’ चिह् के अवशेष मिले हैं । इस चिह्न से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जा सकता है।
- गुजरात में स्थित रंगपुर और रोजदी सैंधव सभ्यता के उत्तरोत्तर अवस्था का बोध कराते हैं।
- बनावली एवं कालीबंगा में सैंधव संस्कृति की दो अवस्था- हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन अवस्था के अवशेष मिलते हैं।
- सैंधव सभ्यता में प्रयुक्त ईटों का अनुपात 4:2:1 (लम्बाई : चौड़ाई : ऊंचाई) था।
- पहली बार कपास उपजाने का श्रेय हड़प्पावासियों को है।
- मोहनजोदड़ों से घोड़े के दांत, लोथल से घोड़े की लघु मृण्मूर्तिओं एवं सुरकोटदा से घोड़े की अस्थियों के अवशेष मिले हैं।
- जुते हुए खेत का प्रथम साक्ष्य प्राक् सैंथव कालीन पुरास्थल-कालीबंगा से मिला है।
- चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से मिले हैं ।
- सैंधव मुहरों में एक शृंगी सांड़ के उत्कीर्ण चित्र सर्वाधिक मिले हैं ।
- हड़पाकालीन पुरास्थलों में कालीबंगा एवं लोथल से हवन कुण्ड के साक्ष्य मिले हैं।
- ‘मेलुहा’ सिंधु क्षेत्र का ही प्राचीन नाम था।
- कुछ नवीन हड़प्पाकालीन पुरास्थल हैं : खर्बीं, कुनतासी एवं थौलाबीरा।
- सिंधुवासी बैल को शक्ति का प्रतीक मानते थे । वे पशुपति महादेव की पूजा किया
करते थे।
- कुणाल से चांदी के मुकुट का साक्ष्य मिला है।
- युगल शवाधान का साक्ष्य लोथल से मिला है।
- महामारी फैलने का साक्ष्य मोहन जोदड़ो से मिला है।
- हाथी का साक्ष्य रोजदी से जबकि पत्थर के बाणाग्र का साक्ष्य कोटदीजी से मिला है।